मंगलवार, 7 मई 2024

May, 2024

*मेरी बर्बादी पर मचा इतना मातम क्यों* *मेरी बर्बादी के दम पे कई आबाद हुए* *तक़दीर है बहाना उनका जो संगदिल हैं* *इंसान को हमेशा खतरा है हमसफ़र से* *सरफिरे लोग अभी और भी इस दुनिया में* *सब लुटा कर भी लुटाने के लिए आतुर हैं* *कौन बेदखल हुआ कौन खो गया कहीं* *दौर अब अजीब सा वक्त बदलता नहीं* *जो भी किया बे-जिक्र, जो ना किया चर्चा बहुत* *बे-मुरौवत है दुनिया, शिकवे गिले सबको बहुत* *सब्र की मियाद क्या कोई समझाता नहीं* *राह बदलनी कहां कब कोई बताता नहीं* *फरिश्तों में है कहां वो बात जो दिलवर के साए में* *आरज़ू जन्नत की क्यों गर हसीं दामन हो हाथों में* *वजह होती नहीं हर बात की जो तुमसे कहें* *तुम अपने अक्स से ही पूछो, सब बता देगी*

रविवार, 31 मार्च 2024

April, 2024

*मायूस न हो गर तेरे ख्वाबों ने दम तोड़ा* *तक़दीर और ताबीर में बनती कभी कभी* *समझ हमारी हमसे हमको दूर न जाने देती है* *दर्द किसी का देखे ना ख़ुद को अकेला पाती है* *किस्मत से किस्मत की बातें वो समझे जो माने हैं* *हम तो बस इतना ही समझे ये वादे हैं अनजाने से* *खुशियों की उम्र कम थी रुकना न कभी जाना* *गम साथ रहे अक्सर सिखा दिया हमें मुस्कुराना* *उम्मीद का दामन क्यों छूटे जब तुम भी मेरे जैसी हो* *उंगली रखकर देख रहा था दर्द कहां, तुम कैसी हो* *सब्र न बन जाए मजबूरी, दूरी इतनी ठीक नहीं है* *थोड़ी बेचनी भी अच्छी, हासिल मुमकिन करती है* *हर इल्तिज़ा कबूल हो मुमकिन नहीं मगर* *कुछ कर सकूं तेरे लिए मोहलत तो जरा दे* *हर शख्स परेशान है मुझको भी ख़बर है* *इतना तो रहे याद गमों को भी घर मिले* *कोशिश किये था सबने, हर बार कुछ हुआ* *कभी राह गलत निकली कभी वक्त सो गया* *हर बात पे ऐ दोस्त तुम,घबराता क्यों है* *कितना बुलाया लेकिन तू भागता क्यों है* *दो पल सकूं से बैठो हर मरहले का हल* *कुछ और आजमाएं राहें बदल के चल* *इन्सान की फितरत का हम ज़िक्र क्या करें* *हसीं वक्त में करीब,जब बदले किनारा करें* *वक्त अचंभित है करता नवरात्र में ईद मनवाता है* *इंसा - इंसा में फ़र्क नहीं ये बार-बार समझता है* *कैसे कहते कि वो मुझे माफ़ करे* *गुनाह उसके हमसे कहीं ज्यादा थे* *तंग हाथों से हम ख़ुद को लुटाते कैसे* *उसकी ख्वाहिशों का बोझ ज्यादा था* *ढूंढकर उसको थक गया था मैं कब का* *वो था कब से मेरे सीने में घर बनाए हुए* *शक मुझे अब कभी भी नहीं होता* *मैंने इंसा पे यकीं करना छोड़ दिया* *सुकून की जिन्दगी जैसी मिले कबूल करो* *उधार की खुशी में शोर बहुत ही ज्यादा है* *रफतार जिन्दगी की रुकती है रोकने से* *होती नहीं पुरानी चाहत सिर्फ़ चाहने से* *ज़िक्र होता है जब भी प्यार की वफाई की* *तेरी बातों में मुहब्बत की महक आती है* *पसन्द करने की कोई तो वजह होती ही है* *हर दफा लफ्जों में जज़्बात कहां मिलते हैं* *बेवजह जब भी मुस्कुराया है* *तेरे चेहरे पे गुलाब खिले दिखे* *बनाया बुत और धर दिए इल्जाम कई* *नजारा कुछ न बदला मगर तसल्ली है* *कह तो दूं मैं सच सरेआम अगर सुन सके कोई* *रूह अब गुलाम डर के साए में इंसान हर कोई* *दुआओं में अक्सर ये दुआ मांगते हैं* *कभी तुम न पूछो हम क्या चाहते हैं* *बताना है मुश्किल क्या चाहते हैं* *तुम्हें चाहते हैं, हम सब चाहते हैं* *दिल की फरमाइसों का क्या कहना* *चाहता वो है जो कभी नहीं मिलता* *राख में छुपके महफूज रहती चिंगारियां ऐसे* *जैसे आशिक के पहलू में दुस्वारियां नहीं होती* *आदमी शक्ल से जैसा भी नजर आता हो* *उसके जहन में धूर्त सा शैतान कोई रहता है* *दूर रहने का खयाल मुझसे बहुत दूर रहा* *जब भी कोशिश हुई जिंदगी घबरा सी गई* *खुल के कही जो बात किसी तरह संभल कर* *घबरा गए या डर गए क्यों वो भागे इधर उधर* Slightly modified *खुल के कही जो बात किसी तरह संभल कर* *घबरा गए या डर गए अब वो भागें इधर उधर* *ख्वाबों की मुलाक़ात का इतना ही फसाना है* *सुहाना सफ़र ख़्वाब में जागे तो बस रुलाना है* *जब ख़ुद से मेरी पहचान हुई जाना कितना नादान था मैं* *शीशे को समझा हीरा है असली चमक से अंजान था मैं* *कैसे कह दें हमने सबकी तकदीरें बदल दी* *बदला है माहौल घर में सिमटना लाज़मी था* *रोज़ मिलना, याद करना लाज़मी था* *वक्त के संग ख़ुद बदलना लाज़मी था* *हमने जिनको कर दिया सबकुछ नज़र* *अब वही कहते हैं बचाना लाज़मी था* *भरोसे पर भरोसा कौन करता है मुहब्बत में* *जज्बा अपना अपना है निभाते हैं चाहत में* *तक़दीर है बहाना उनका जो संगदिल हैं* *इंसान को हमेशा खतरा है हमसफ़र से* *हवाओं को पता है दूर से खुश्बू नहीं मिलती* *बदलती हैं हवाऐं ताकि अपनी दूरियां कम हों* *सुकून सस्ते में मिल जाए अगर दो पल ठहर जाए* *वादे कर या ना कर फिर भी नज़रों को नज़र आए*

सोमवार, 18 मार्च 2024

March, 2024

*वक्त का मिज़ाज वक्त भी न जाने* *वक्त बदलता है तू माने या न माने* *तुम अलविदा न कहते हम यूं ही चले जाते* *गर दे सको इजाजत तो कुछ देर ठहर जाते* *कौन माने कौन समझे क्या हुआ था साथ तेरे* *हर कोई मशगूल ख़ुद के मरहलों में जो हैं घेरे* *कुछ पाने के लिए किसी के टूटने का इंतज़ार* *संभल जा ऐ दिल मेरे न हो इतना भी बेकरार* *हम सफ़र में थे या सफ़र में रात थी* *जो रुका एक पल सफ़र में खो गया* *वक्त की पाबंद कब खुशियां हुईं* *दर्द ने हर पल निभाया साथ मेरा* *दिल मिलाया इतना भी कोई कम नहीं* *इतनी मेहरबानी का भी सबमें दम नहीं* *मन मान भी जाता मगर ज़िद थी न मानेंगे* *खुशियों के लिए हम कभी भी मन न मारेंगे* *तारों की झुरमुटों से वो झांक रहा है* *जल्दी हो मुलाक़ात दुआ मांग रहा है* *मंज़िल कभी ख़ुद ब ख़ुद आती नहीं करीब* *दुस्वारियां राहों की सहो और साथ दे नसीब* *जिन्दगी मैंने तेरे वास्ते क्या क्या न किया* *पूरी दुनिया से बगावत किया, इश्क किया* *आज हर चेहरा नया है कुछ हसीं ज्यादा* *रंग चाहत का है या है महज़ ख्याल मेरा* *वक्त रोक देता गर तुमको था पसन्द* *वक्त जा चुका वहां जो था उसे पसन्द* *सब्र का दामन छूटा कब का बेसब्र नहीं मैं* *कब्र सजा के रखा लेकिन जिंदा हूं अभी मैं* *शाख पे बैठा है कब से बेखौफ परिंदा* *दोस्त भरोसे का गर तो बेखौफ रहे बंदा*

मंगलवार, 6 फ़रवरी 2024

February, 2024

*कुछ तो अलग बात हर अफसाने में* *सभी होते हैं कहां एक से जमाने में* *भटके हुए राही की भी तो दास्तां सुनो* *रास्ते उलझे से , मुुश्किल थी क्या चुनो* *वक्त जो आज है कल ये होगा नहीं* *हलचलें थी जो यहां, आज वो नहीं* *भूल जा या याद रख तेरी मर्ज़ी जो भी रख* *कौन सा क़िरदार उम्दा है बड़ी मुश्किल परख* *ख्वाहीश न थी हमारी कि सबसे बैर करते* *तन्हा गुजारा करते व कुछ न लब से कहते* *इस क़दर इश्क की बारिश कुछ ठीक नहीं* *सर्द मौसम है भींग जाना मुनासिब तो नहीं* *सरहदें मिट गईं जब किसी से इश्क़ हुआ* *बंदिशें कुछ काम न आईं कभी जमाने की* *जब गलतियों की फेहरिस्त लम्बी होती जाए* *करेंगे क्या मानते मानते फिर गलती हो जाए* *वक्त ने सिर्फ़ हालात बदला जज्बात वही हैं* *नाराजगी दो पल की आवाज़ दे हम वही हैं* *आदत नहीं कि अपनी आदत बदल के देखें* *जो साथ चले अबतक उन्हें छोड़ चल के देखें* *पहले नादान थे वो अब सयाने हो गए* *बदल गईं आदत शिकवे सभी खो गए* *मेरे गमों में मेरी खुशियां घुल गईं ऐसे* *तेरे सिवा किसी की समझ आए कैसे* *तक़दीर का बहाना अब काम न आयेगा* *तक़दीर के आगे भी मिलने की जगह है* *कुछ भी हो नंगे पांव न निकलना* *अभी रूक जा आराम से निकलना* *मुहब्बत कहां मोहताज अब खिलते गुलाबों की* *कभी ये ख़ुद बदलती है, कभी मौसम बदलते हैं* *गम और खुशी में फ़र्क करना हो गया मुश्किल* *समझ आता नहीं कब रोना कब मुसकुराना है* कसक अनजान नगमों की सताती है अंधेरों में समन्दर में उलझते जा रहे यादों की लहरों में *एक ख़्वाब बिखरने का क्यों मलाल हो* *ज़िन्दगी हमारी ख्वाबों का सिलसिला है* *बात करने के लिए बात भी तो चाहिए* *बात के लिए कोई साथ भी तो चाहिए* *यादें गुजरे लम्हों की हैं बेबस अक्सर आती हैं* *जीवन सबका एक सा है घड़ी उसे दुहराती है* *मुझसे यूंही लग न सकेगा हर बात पे ठहाका* *हँसने के लिए दिल की इजाजत भी ज़रूरी है* *रास्तों की क्या कमी गर साथ चलने का इरादा* *साथ पहुंचेंगे जहां भी वो हसीं ख्वाबों से ज्यादा* *कौन माने कौन समझे क्या हुआ कल साथ तेरे* *हर कोई मशगूल ख़ुद के मरहलों में जो हैं घेरे*

मंगलवार, 2 जनवरी 2024

January, 2024

*बहुत कोशिशें हुई होंगी सच छुपाने की* *कोई यूं न कहता दिवाना था गुजर गया* *आसान सा जवाब है मुश्किल सवालों का* *यूं हीं तो नहीं कहते कि तुम लाज़वाब हो* *मुस्कुराहट भी क़ैद होती है, ये अभी जाना* *ऊंचे दर्जे का फनकार मेरा यार मैंने माना* *हम चाहें भूलना पर भूल नहीं पाते कभी* *कहने की बात है अब याद नहीं बातें सभी* *जमाने को ख़बर है दिल के मेहमान लौटते हैं* *ढूंढने के लिए दिल से बेहतर कोई मुकाम नहीं* *कीमत उसने कुछ ज्यादा ही मांग लिया मुहब्बत में* *चुकाई न गई मुझसे कीमत और वो जुदा हो गया* *मुश्किल से मुहब्बत का इज़हार किया था* *हंसी में लिया, माना नहीं प्यार किया था* *रास्तों की तलाश है हमें भी तुम्हें भी* *मंज़िल एक है लेकिन राहें जुदा जुदा* *जिस मोड़ पे पहुंचे हैं वो पहले भी यहीं था* *जिसने कहा नया है वो ख़ुद कहीं नहीं था* *कुछ फूलों की जमीं ही अलग होती है* *इस जमीं से निकलो तो मिलना होगा* *क्या सच है प्रेमी पागल होते हैं* *दुनिया समझ ही नहीं पाती भाषा* *हमने वफा का कभी दावा नहीं किया* *सच ये भी है,कभी बेवफा नहीं हुआ* *खामोशी हमेशा ख़ामोश नहीं रहती* *ख़ामोश रहकर भी सब कुछ कहती है* *समन्दर को यकीं था वो आयेगी, रुका रहा* *नदी की है आदत पुरानी छुपके मिलने की* *बोझ कंधे पे हो या दिल में हो* *बढ़ते जाओ तभी राह कटती है* *सफ़र ये ख़त्म हो ऐसी कभी ख्वाहिश न हुई* *मेरा हमराह संग चले उम्रभर, हसरत हीं रही* *राज की बात अभी राज रहने दो* *थोड़ी देर और यूं ख़ामोश रहने दो* *दर्मियां गुफ्तगू के भी कई तरीके हैं* *बंद पलकों में नए ख़्वाब सजने दो* *ख़ुद से कई हैं शिकवे कैसे तुम्हें बताएं* *जो बेखुदी में किए अब रात दिन रुलाएं* *ख़ुद से कई हैं शिकवे कैसे तुम्हें बताएं* *जो बेखुदी में किए अब रात दिन रुलाएं* *समझ दुनिया में लोगों की बढ़ गई है शायद* *ऐसे किस्से हुए ईजाद जो कभी हुए ही नहीं* *अमीरों की दुनिया अमीरों का बाज़ार* *मुफलिस सारे आशिक़ और हैं लाचार* *खफा होते तो हम क्योंकर होते* *बिना इजाज़त किया गुनाह हमने* *करने पे आओ तो तूफान उठा सकते हो* *पूरी दुनिया को इशारे पे झुका सकते हो* *हालात बदलने में दो पल की देरी है* *रौशनी भी होगी अभी रात अंधेरी है* *चाहे जिधर भी देखो चाहे जहां भी देखो* *हर शै में कयामत है या सिर्फ़ मुहब्बत है* *अपने हालात से शिकायत तो बहुत है* *वक्त बदल जायेगा ये उम्मीद बहुत है* *तमन्ना थी तरकीब कोई हम ऐसा ढूंढ़ पाते* *बे- बस किसी इन्सान को ढूंढे न ढूंढ़ पाते* *वजूद पे खतरा बहुत है अब,संभल जाओ* *जगह महफूज नहीं जल्दी से निकल जाओ* *हमारी शाख इतनी है कोई भी पास नहीं होता* *अरमां किनारा कर लिए हसरत नहीं सताता* *दास्तां ऐसी भी कभी हमने सुनी थी* *क़िरदार तो कई थे रिश्ता न कोई था* इतना भी दिल कमबख्त नहीं है खोने की ये सोचे,शख्त नहीं है बड़ी मुश्किल से खज़ाना हाथ आया किस्मत की बात है कि तेरा साथ पाया हाथ आया था जिस दिन मेरे हाथ में हाथ कितने छूटे जो रहते थे साथ में

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023

December, 2023

*बे- तकल्लुफ बे- झिझक कह डाल दिल से दिल की बात* *अब फिकर किस बात की, अब क्या गरज है दिन या रात* *हमारी उम्र की सीमा गुजर ही जायेगी* *तय नहीं किन ख्यालों में आशियां होगा* *हर शख्स परेशान है मुकद्दर के सामने* *इन्सान के हाथों की लकीरें हैं लाचार* *इन्सान के हाथों की लकीरें करें तो क्या* *जबतक न हो लड़ने की हालात से कोशिश* *बदलते रहना ज़िन्दगी की फितरत है पुरानी* *कभी इंसान बदलते हैं कभी तक़दीर हमारी* *जो आ गया जमीन पर जायेगा एक दिन* *हम कैसे मान लें कि मुश्किल न जायेगी* *लिबास हमने पहन ली नए जमाने की* *सबको लगता दुनिया में नया आया हूं* *जो गुजर जाते थे करीब से बिना बोले* *जाने क्या हुआ अब लोग ढूंढते हैं हमे* *जो गुजर जाते थे करीब से बिना बोले* *न जाने क्या हुआ वो ही ढूंढते हैं हमे* *तमन्नाओं की फेहरिस्त लम्बी बहुत है* *काम हैं बहुत सारे,वक्त बहुत कम है* *इश्क़ तस्वीर आईने में सिमटी-सिमटी* *नज़र के सामने, हाथ पर नहीं आती* *भींगने से सिहर जाता हूं अभी भी अक्सर* *न वो दामन न सहारा जहां पनाह मयस्कर* जल गए उनपर ये करम ज्यादा है जले को फिर से जलाने बुलाया है भूल सकता भला कौन गुफ्तगू तेरी नींद गहरी जब होती है गुनगुनाती हो *तमाशे खूब होते हैं तमाशों की ये बस्ती है* *महंगाई है लेकिन जान इन्सान की सस्ती है* *वजह एक मुस्कुराहट की कभी ढूंढे न मिलती थीं* *नज़रिया हमने बदला अब हँसी आती हर बात पर* *रूक के कुछ पल गहरी गहरी सांस लेते हैं* *कुछ क़दम के बाद हम फिर तेज़ चलते हैं* *ख़ामोशी से गुफ्तगू की डोर थामकर* *अनकही बातों को आंखों से कहते हैं* *हम, हम न होंगें, गर कहीं कल मिलोगे तुम* *हर दिन बदलना हमने भी अब सीख लिया है* *गुस्ताख़ हम भी हैं किए हैं जुर्म कई बार* *गर तुम खुदा जैसे तो हमें इल्म नए दो* *गुस्ताख़ हम भी हैं, किए हैं जुर्म कई बार* *बनके खुदा इस दुनिया में जीना है दुस्वार* *ईश्क वाले अजीब होते हैं* *बे-वजह हंसते कभी रोते हैं* *रिश्तों में उलझ मैंने रिश्तों की कसक देखी* *दिल चाहता रहा जिसे उसने न इधर देखी* *परवाह उसे भी है,परवाह हमें भी है* *इजहारे मुहब्बत से इन्कार मगर है* *हमने बनाए फासले मुश्किल से इन दिनों* *जज़्बात ने करने को बगावत की ठान ली* *महफ़िल नहीं पर गीतों का हसीं आलम है* *दिल बेचैन नहीं ख़ामोश है कॉफी के साथ* *अकेले कभी हम भी डरते न थे* *जब चाहत हुईं हम भी डरने लगे* *मुकद्दर भी कुछ कुछ डराने लगा* *लकीरों में अब कुछ नज़र आ रहा* *इश्क शोले -सा दहक जाए ऐसा कुछ कर दे* *सुबह से शाम तक खुशबू हो तू महक भर दे* *सर्दियों के मौसम में आग लगनी चाहिए* *चाहे दामन ही न जले गर्मी थोड़ी चाहिए* *किसी भी बात पे क्यों कोई हैरान होता* *बात कोई भी हो, अंजान नहीं लगती है* *रिश्तों में दफ़न हमने खुशियां तमाम कर दी* *रिश्तों ने कहा हमसे मुुश्किल है साथ रहना* *दांव पर थीं ज़िन्दगी, इंसानियत और हसरतें* *हमने किया अब फ़ैसला कुर्बान करेगें हसरतें* *यकीं न था, यकीं होगा तुम्हें कि हम भी काबिल हैं* *क्या देखा, क्या समझा, कहीं तुम मुझ सा तो नहीं* *दिल को अब आराम दे, कुछ काम न दे* *ख्वाहिशों की भी हुई उम्र उसे जाम न दे* *बेगुनाही की सबूत मांगता है वो* *क्या मुहब्बत भी गुनाह होता है* *लकीरों में बसर करने की क्या रवायत है* *ठहरो कयामत तक तेरी अभी जरुरत है* *देर तक तुम ख़ामोश न रहा करो* *अजीब अजीब से खयाल आते हैं* *महकी हुई वादी में बहका हुआ इन्सान* *आगोश में ले लो या पिलाओ एक जाम* *जिस्म में होता है एक ख़्वाब सा खुदा* *ये ख़्वाब ही है रास्ता मगर है जरा जुदा* *हर बात पे हैरान न हो, है ये जिंदगी* *कहने को तुम्हारी है पर है ये अजनबी*

रविवार, 5 नवंबर 2023

November, 2023

*जिसने मुझे बनाया मुझको हुनर न दी* *ख़ुद तक पहुंचने की मुझको डगर न दी* *रोके न रुक सकेगा जीवन का कारवां* *बेहतर चले चला चल, गर चले कारवां* *दर्द की दास्तां अनजानी है* *तन्हा सहना नहीं सुनानी है* *जिन्दगी शौक से जीने के लिए, सारे दस्तूर मिटाने होंगे* *कौन क्या चाहे हमसे ये खयाल भी दिल में न लाने होंगे* *थोड़ी उदास कट रही थी मेरी सुबहो शाम* *छेड़ा उसी को हमने जो कहता मेरे लिए है* *साया भी न साथ देगा जाओगे जहां भी* *कुछ देर पास बैठो कुछ देर ठहर जाओ* *चैन से रहने के लिए इश्क नहीं है* *सुकून जिसे समझा वो एक धोखा है* *रोटियां रोज अब नहीं मिलती* *भूख बढ़ती है,तुम नहीं आते* *धुआं धुआं सा आसमां हुआ जाता है* *जले हैं ख़्वाब या यादों का झोंका हैं* *जिस्म में रूह का दम घुटता है* *रातभर जाने कहीं वो जाती है* *शायरी दोस्तों की परछाई* *जब वो आए,ये भी आई* *धूप में कम ही मैं निकलता हूं* *तुम बिन छांव भी नहीं होती* *आशिकी न मालूम किसको कहते है* *तुम्हारे साथ मेरा वक्त खूब होता है* *खेलता वो भी हम गरीबों से* *उसको भी ख़ुद का खयाल है* *जख्म ऐसे भी कई हैं जो भरते ही नहीं* *दर्द बढ़ता है सह लेते हैं कहते ही नहीं* तन्हा सफ़र का लुत्फ अलग ही तरह का था शिकवा किया ख़ुद से, शाबाशी भी ले दिया *गज़ल बन के आना गज़ल बन के जाना* *हंसाना रुलाना तुम्हारी अदा, मैंने माना* हवाऐं दिए को बुझाती नहीं हैं सुलाती तो हैं, जलाती नहीं हैं *हवाओं में कई आवाज़ एक मेरी भी शामिल* *सुनाई दे अगर तुमको तो खुशबू भेज देना* न कर जाहिर तुम्हारी आंखें रास्ता देखती है तुम्हें है फिक्र उसकी बात ये कहना नहीं है हिचकियाँ आती हैं लेकिन हर दिन नहीं आतीं मुझे लगता है तेरी यादों मैं कोई और भी है *अदभुत हैं हवाएं भी कोई बंदिश नहीं मानती* *कहर बनकर जब चलें तो कुछ नहीं पहचानती* *दूरियां हमने बढ़ाई पास रहने के लिए* *उसने समझा मुझको अब उल्फत नहीं* *अब तक मिला जिनसे दूसरी जहां के थे शायद* *चल अपनी जहां ढूंढें जो कहीं छुपी है शायद* *उम्मीद के भरोसे, उम्मीद के सहारे* *चल चलते हैं अब एक दूसरे किनारे* *वक्त बदला, हमें बदल न सका* *वक्त लगता है सबको बदलने में* *कितनी ही सुबहे गुजारी हैं तन्हा* *आजकल क्यों सुबह नहीं होती* *सभी ने पहले भी हमको देखा है* *आजकल क्यों नज़र नहीं मिलती* *उठेंगे सभी सुबह तो होने दो* *आजकल वक्त धीरे चलता है* *दोपहर को भी सुबह कहते हैं* *रात भी शाम जैसी लगती है* *हर घड़ी तेरा मुझसे यूं लड़ना, क्यों समझ में मेरे नहीं आता* *तुम तो कहते नहीं कभी लब से, क्या दिल लगाने का बहाना है* *आदतें बनते बनते बनती हैं,आदतें जाते जाते जाती हैं* *इतना आसान भी नहीं होता, कोशिशें सबसे नहीं होती* *हादसे रोज कुछ न कुछ होते हैं* *जब समझ जाते हैं थोडा रोते हैं* *कौन तय करता है मंज़िल अपनी* *मुझको लगती है ये अनजानी सी* *ख्वाहिश जन्नत की सबको है लेकिन* *क्यों नहीं याद कि मौत लाज़मी पहले* *खुशबू आने दो खिड़कियों से* *मौसम बदलें उनकी बला से* *मुझको कुछ लोग अब पसन्द नहीं* *मेरी दुनिया अब सिमटती जाती है* *मुश्किल हुए हालात या मुश्किल सफर हुआ* *चलने की जुस्तजू भी अब वैसी नहीं रही* *दिल चाहता है रुक के देखें दूर तक पीछे* *कुछ छूट गया पीछे या सब साथ साथ है* *ख़ुद का रखना खयाल वाजिब है* *किसको किसका खयाल रहता है* *तक़दीर भी मुझसे शरमाने लगी है* *कभी भूले से मिले तो किनारा करे* *शिक़ायत भी हो तो छुपा लेना* *जो भरम है उसे जिन्दा रखना* *अल्फाजों के सहारे फसाने बनाए* *सुना डाला बिना उसे सच बताए* *इंतज़ार हुआ लम्बा और रिश्ता पुराना* *न उसने इसे समझा न हमने ही जाना* *हार जो लगता था वो हार नहीं है* *कल उसने कहा मुझसे प्यार नहीं है* *एक अकेला दोस्त काफी जिन्दगी की दौड़ में* *रिश्ते सारे बोझ जैसे कुछ न कुछ फरमाइशें हैं* *अफसाने लिखे जाते हैं रोज़ इक नए* *किरदार एक ही रहे, सूरत नए नए* *रूठने वाले कोई गैर नहीं अपने है* *दिखाई देते नहीं दिन में वो सपने हैं* *मैं जिसकी धुन में अब इस मोड़ तक आ पहुंचा* *गर उसकी कुछ मिले ख़बर तो मुझ तक पहुंचाना* *मुलाकात हुई ऐसी जगह कोई नहीं था* *मैं जिससे मिला शायद वी भी नहीं था* *इस मुल्क की क़िस्मत में इन्सान नहीं हैं* *कुछ हैं खुदा के बंदे ज्यादा बेईमान हैं* जिस सादगी पे लूट गए दीवाने बेशुमार अब सादगी के ज़िक्र से घबरा रहे लोग